चले आये है आज फिर,
उसी आवाज को सुनने,
उसी का नाम लेकर के,
उसी के साथ ही चलने,
एक बार फिर से,
पुरजोर कोशिश करने,
मिल जाये वो हमें,
एक बार फिर से फरियाद करने,
करु क्या, दिल ही ऐसा है,
तमन्ना फिर उमड़ती है,
आरजू फिर से बन बैठी,
उसके दीदार करने की,
वो कहता है,
चले जाओ,
तुम दूर नजरो से,
वो कहता है,
मिटा दो,
मुझको यादों से,
वो कहता है,
दफन कर दो,
जो भी एहसास बाकी है,
कैसे मिटा दूं,
जो भी लम्हे,
यादों मैं बैठे है,
बंद पलको में,
सपने सुनहरे है,
निशानी बनाया है जिसको,
वो जख्म गहरे है,
खामोशी की तान के,
नगमे सुनहरे है,
डूब जाऊ यादों में,
सागर ज्यूँ गहरे है,
दुनिया छोड़ जाऊ,
यह मुश्किल नही लगता,
बस भूल जाऊ तुम्हे,
“भरत” मुमकिन नही लगता।
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फरियाद
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सन्नाटा
Posted in What I Feel, tagged कविता, बरसात, बादल, भरत, भरत बेगवानी, वर्षा, सन्नाटा, हिंदी कविता, Environment, Hindi, hindi poetry, kavita, Poem, Poetry, water, Women, World on August 28, 2018| Leave a Comment »
बादलों की घनघोर गर्जना,
पूरा वातावरण सहम गया,
फिर फटा बादल का हृदय,
रिम झिम, रिम झिम,
रिम झिम, रिम झिम,
फिर धीरे धीरे,
छप-छप,
छप-छप,
छप-छप,
छप-छप,
चुप, चुप,
चुप, चुप,
चुप, चुप,
चुप, चुप,
घनघोर सन्नाटा……