मौन से शक्ति का संचार है,
मौन में ही अंतस: का सार है,
मौन रहती है ऋतुएं,
परिवर्तन मधुर लाती है,
मौन रह कर पृथ्वी,
धूरी पर चक्कर लगाती है।
दिन भर झक झक कर के,
शक्ति क्षीण हो जाती है,
अनावश्यक बातें कभी,
जीवन मे अर्थ नही लाती है,
अनमोल बीज सृजन के,
मरु में व्यर्थ हो जाते है,
बाह्य कोलाहल,
हृदय में चपलता फैलाते है।
गर हृदय में उतर कर,
मौन तुम धारण करो,
शब्द की शक्ति के
संचय का मानस करो,
मौन के परिपार्श्व में,
चिर आनंद की ध्वनि सुनो,
आत्म वाणी साक्षात्कार कर,
अंदर अनुभूति दिव्य करो,
तो,
वाणी में तुम्हारे,
दिव्य रस भर जाएंगे,
तेज, शक्ति, ओज से शब्द,
ओतप्रोत हो जाएगे,
जीवन, जगत और प्रकृति के,
रहस्य सब खुल जाएंगे।
सार्वभौम शक्तियों से,
साक्षात्कार हो जाएंगे।
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वाणी संयम
Posted in What I Feel, tagged पर्युषण, वाणी, संयम, Maun, Mum, paryushan, Silence on August 31, 2019| Leave a Comment »