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Archive for July, 2010


बस यादें ही रह जाती हैं|

रीत है मिलना बिछुड़ना,

पल भर मिलना, पल में बिछुड़ना,

देह भी तो मिल के बिछुड़ जाती हैं,

बस यादें ही रह जाती हैं|

दिल के रिश्ते कभी न बनते,

जो न बिछड़ते, तो कैसे हम मिलते,

यादों के सहारे ये रिश्ते चलते,

मंजिल तो वही, राहे बदल जाती है,

बस यादें ही रह जाती हैं|

विदाई में है गम, विदाई में ख़ुशी,

कही पे है उलझन, तो कही पे है राहत,

कुछ खट्टी यादे, तो कुछ मीठे पल,

वक्त की भाषा तो यु ही बदल जाती है,

बस यादें ही रह जाती हैं|

कुछ अधूरे सपने आँखों से,

कुछ नए सपने बुनते हुए,

कुछ सरगम लम्हों की दिल में,

कुछ दिल में अरमान लिए हुए,

जब चलने की बारी आती हैं,

बस यादें ही रह जाती हैं|

करते रहना कभी कभी

तुम भी मेरा ख्याल कभी,

चलते चलते राह पुरानी,

मिलते रहना तुम भी कभी,

वो कभी कभी, जब कभी कभी,

जो कभी कभी,फिर कभी कभी, जब आएगा,

दिल में सबकी तस्वीर लिए,

पल में याद दिलाएगा|

क्या याद दिलाएगा………??

चलते चलते राहो पर,

यादों की आंधी आती है,

पल भर की सही, पर जीवन में,

बस यादें ही रह जाती हैं|

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भाई रमेश के माथे पर बंधी पट्टी देख हमने उससे पूछा,
 
क्या हुआ भाई,
ये चोट कैसे आई,
उसने कहा-
आज तुम्हारी भाभी ने प्यार उड़ेल दिया सारा,
१ फूल उठा के मेरे सर पे दे मारा,
मैंने कहा-
बात समझ नहीं आई,
फूल से इतनी गहरी चोट खाई,
उसने कहा-
पहला तो तुम्हारी भाभी का निशाना साधा हुआ था,
और दूसरा फूल अभी गमले में ही लगा हुआ था| 

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