बादलों की घनघोर गर्जना,
पूरा वातावरण सहम गया,
फिर फटा बादल का हृदय,
रिम झिम, रिम झिम,
रिम झिम, रिम झिम,
फिर धीरे धीरे,
छप-छप,
छप-छप,
छप-छप,
छप-छप,
चुप, चुप,
चुप, चुप,
चुप, चुप,
चुप, चुप,
घनघोर सन्नाटा……
Archive for August, 2018
सन्नाटा
Posted in What I Feel, tagged कविता, बरसात, बादल, भरत, भरत बेगवानी, वर्षा, सन्नाटा, हिंदी कविता, Environment, Hindi, hindi poetry, kavita, Poem, Poetry, water, Women, World on August 28, 2018| Leave a Comment »
बादल
Posted in What I Feel, tagged aadat, aansu, अरमान, आँचल, आनन्द, इच्छा, उम्मीद, कवि, कविता, खुशबू, घायल, जल, जल ही जीवन है, जिंदगी, जीना, जीवन, जैन, तेरापंथ, दिल, धूप, पर्यावरण, पानी, पानी बचाओ, प्रकृति, बादल, बालू, बीज, बूंद, भरत, भरत बेगवानी, भारत, मेरी कामना, राजलदेसर, वर्षा, संरक्षण, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, bharat jain, Conservation of Water, earth day, Enviournment, Environment, Hindi, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jain, jeevan, kavita, Save water, water, water conservation, Water crisis, World on August 28, 2018| Leave a Comment »
बादल जो घिरे,
कई रंगों से भरे,
आपस मे मिले,
मिल कर कड़के,
किरणों से मिले,
सतरंगी आँचल लिए,
कल्पना के पटल पर,
हजारो रंग भर दिए,
आकाश में,
उन्मुक्त विचरते,
पवन के वेग संग,
आंनद में भरते,
हज़ारो बूंद बन,
धरती पर बिखरते,
नाचती कूदती बूंदों सी,
अठखेलिया करते,
मिल कर रेत संग,
उसके सीने में दफन होते,
हर एक के जीवन मे,
स्फूर्ति भरते,
रेत से नीचे जा,
धरती के हृदय में जा मिलते,
अमृत सम ऊपर आकर,
मानव की,
प्यास हरते।
या बादल बन,
फिर से,
रंग प्रकृति में भरते।
बादल
Posted in What I Feel, tagged aadat, aansu, अरमान, आँचल, आनन्द, इच्छा, उम्मीद, कवि, कविता, खुशबू, घायल, जल, जल ही जीवन है, जिंदगी, जीना, जीवन, जैन, तेरापंथ, दिल, धूप, पर्यावरण, पानी, पानी बचाओ, प्रकृति, बादल, बालू, बीज, बूंद, भरत, भरत बेगवानी, भारत, मेरी कामना, राजलदेसर, वर्षा, संरक्षण, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, bharat jain, Conservation of Water, earth day, Enviournment, Environment, Hindi, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jain, jeevan, kavita, Save water, water, water conservation, Water crisis, World on August 28, 2018| Leave a Comment »
बादल जो घिरे,
कई रंगों से भरे,
आपस मे मिले,
मिल कर कड़के,
किरणों से मिले,
सतरंगी आँचल लिए,
कल्पना के पटल पर,
हजारो रंग भर दिए,
आकाश में,
उन्मुक्त विचरते,
पवन के वेग संग,
आंनद में भरते,
हज़ारो बूंद बन,
धरती पर बिखरते,
नाचती कूदती बूंदों सी,
अठखेलिया करते,
मिल कर रेत संग,
उसके सीने में दफन होते,
हर एक के जीवन मे,
स्फूर्ति भरते,
रेत से नीचे जा,
धरती के हृदय में जा मिलते,
अमृत सम ऊपर आकर,
मानव की,
प्यास हरते।
या बादल बन,
फिर से,
रंग प्रकृति में भरते।
दोस्ती
Posted in What I Feel on August 5, 2018| Leave a Comment »
दोस्तो का बुरा हो,
और मेरा भला हो,
कह दिया भगवान से,
ये हमे मंजूर नही।
दोस्त तड़पे दर्द से,
और हम रहे खुशी में,
कह दिया जमाने से,
ये हमे मंजूर नही।
दोस्त की हो चाह,
वो मिल जाये हमे,
कह दिया किस्मत से,
सौगात ये मंजूर नही।
राह में बिछे कांटे दोस्त के,
हम को अगर दिखे नही,
ऐसी रोशनी के आलम,
ये हमे मंजूर नही।
सभी मित्रों को मित्रता दिवस की शुभकामनाएं॥