खोल कर बैठा था जिंदगी की किताब,
पहले पन्ने पर मेरी मां का नाम था,
निर्मला बेगवॉनी presents…..
पन्ना पलटा,
सबको मेरी अहमियत का अहसास कराता,
सबसे बड़े शब्दो मे लिखा शीर्षक,
फिर सफर शुरू हुआ,
सबका आभार किया,
सब महत्वपूर्ण किरदारों को याद किया,
फिर पढ़ता गया, पलटता गया,
हर पन्ना उलटता गया।
कुछ पन्ने नामुराद थे,
लिखे हुए शब्द बहुत खराब थे,
भावनाओ का बोझ था,
हटाना चाहा,
हटा ना पाया,
जिंदगी का यही फलसफा था,
हर एक लम्हा जीना था,
हर किरदार से मिलना था,
हर किरदार को परखना था,
वो हसीन लम्हे फुर्र से उड़ गए,
जिन लम्हो को फिर जीना था,
उन्ही यादों में बरसों खोना था,
उन पन्नों ने खत्म होने का नाम ना लिया,
जिन पन्नो का ना होना था,
देख जिन्हें, बरसो रोना था,
कुछ हल्की मुस्कान लाते थे,
कुछ चेहरे पर तनाव लाते थे,
कुछ पन्ने यू ही छोड़ जाते थे,
कभी खुद को भूल जाते थे,
इस सफर में बहुत कुछ जिया,
किसी को याद किया,
किसी को भुला दिया,
बस फिर धीरे धीरे चलता गया,
हर लम्हे को जीता गया,
देखता रहा दुनिया के रंग,
कभी रहा बेखबर,
कभी बदल लिए ढंग,
अब जिंदगी पूरी तरह जीना चाहता हूँ,
हर एक लम्हे को छूना चाहता हूँ,
कल से कोई शिकायत नही,
कल से कोई चाह नही,
जिंदा हूँ, बस आज को जीना चाहता हूँ।
“भरत” बस आज में जीना चाहता हूँ।
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जिंदगी की किताब
Posted in What I Feel, tagged 2019, actor, अरमान, आदत, आनन्द, इतिहास, उन्नति, उम्मीद, उल्लास, कवि, कविता, जन्मदिन, जिंदगी, जीत, जीना, जीवन, नव, पथ, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भरत बेगवानी, ममता, मा, माँ, माता पिता, मेरी कामना, यादें, राजलदेसर, शायर, शायरी, सपने, हास्य व्यंगय, हिंदी, हिंदी कविता, हिन्दी, Bharat, bharat Begwani, bharat jain, happy, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, kavita, Poem, Poetry, rajaldesar, Save water, shayar, shayari, World on April 22, 2019| Leave a Comment »
सादगी
Posted in What I Feel, tagged 2019, कविता, गहना, छीना, दिखावा, दौड़, धोखा, बनावट, बेगवानी, बेगवॉनी, भौतिक, राजलदेसर, शायरी, सादगी, सुंदरता, हिन्दी, false, materialistic, showcasing, Simplicity, World on March 24, 2019| Leave a Comment »
बनावटी दिखने में,
इतना मशगूल न हो जाना,
सादगी की सुंदरता को,
कभी भूल ना जाना।
सादी रोटी सब्जी सबको,
नसीब हो ही जाती है,
लालची जीभ की मांगें,
कहाँ पूरी हो पाती है,
रखना रसना का ध्यान,
जिह्वा लोलुप ना हो जाना।
सादगी की सुंदरता को,
कभी भूल ना जाना।
जीवन स्तर का पता किसी को,
धन फूकने से नही चलता है,
जीवन स्तर का मापदंड,
जीवन आदर्श ही होता है,
अनावश्यक दिखावे, खर्च में,
तुम फिसल कर ना गिर जाना।
सादगी की सुंदरता को,
कभी भूल ना जाना।
दिखावे की अंधी दुनिया की,
जरूरतें फैलती जाती है,
इन जरूरतों को पूरा करने में,
छीना झपटी बढ़ती जाती है,
सुरसा से इस मुख में,
सुख शांति खोती जाती है,
ऋषि मुनियों के इस देश की,
संस्कृति विलुप्त हो जाती है।
पदार्थो की भौतिक दौड़ में,
“भरत” इतना मग्न न हो जाना,
सादगी ही जीवन का गहना,
बिल्कुल भूल ना जाना।
सन्नाटा
Posted in What I Feel, tagged कविता, बरसात, बादल, भरत, भरत बेगवानी, वर्षा, सन्नाटा, हिंदी कविता, Environment, Hindi, hindi poetry, kavita, Poem, Poetry, water, Women, World on August 28, 2018| Leave a Comment »
बादलों की घनघोर गर्जना,
पूरा वातावरण सहम गया,
फिर फटा बादल का हृदय,
रिम झिम, रिम झिम,
रिम झिम, रिम झिम,
फिर धीरे धीरे,
छप-छप,
छप-छप,
छप-छप,
छप-छप,
चुप, चुप,
चुप, चुप,
चुप, चुप,
चुप, चुप,
घनघोर सन्नाटा……
बादल
Posted in What I Feel, tagged aadat, aansu, अरमान, आँचल, आनन्द, इच्छा, उम्मीद, कवि, कविता, खुशबू, घायल, जल, जल ही जीवन है, जिंदगी, जीना, जीवन, जैन, तेरापंथ, दिल, धूप, पर्यावरण, पानी, पानी बचाओ, प्रकृति, बादल, बालू, बीज, बूंद, भरत, भरत बेगवानी, भारत, मेरी कामना, राजलदेसर, वर्षा, संरक्षण, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, bharat jain, Conservation of Water, earth day, Enviournment, Environment, Hindi, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jain, jeevan, kavita, Save water, water, water conservation, Water crisis, World on August 28, 2018| Leave a Comment »
बादल जो घिरे,
कई रंगों से भरे,
आपस मे मिले,
मिल कर कड़के,
किरणों से मिले,
सतरंगी आँचल लिए,
कल्पना के पटल पर,
हजारो रंग भर दिए,
आकाश में,
उन्मुक्त विचरते,
पवन के वेग संग,
आंनद में भरते,
हज़ारो बूंद बन,
धरती पर बिखरते,
नाचती कूदती बूंदों सी,
अठखेलिया करते,
मिल कर रेत संग,
उसके सीने में दफन होते,
हर एक के जीवन मे,
स्फूर्ति भरते,
रेत से नीचे जा,
धरती के हृदय में जा मिलते,
अमृत सम ऊपर आकर,
मानव की,
प्यास हरते।
या बादल बन,
फिर से,
रंग प्रकृति में भरते।
बादल
Posted in What I Feel, tagged aadat, aansu, अरमान, आँचल, आनन्द, इच्छा, उम्मीद, कवि, कविता, खुशबू, घायल, जल, जल ही जीवन है, जिंदगी, जीना, जीवन, जैन, तेरापंथ, दिल, धूप, पर्यावरण, पानी, पानी बचाओ, प्रकृति, बादल, बालू, बीज, बूंद, भरत, भरत बेगवानी, भारत, मेरी कामना, राजलदेसर, वर्षा, संरक्षण, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, bharat jain, Conservation of Water, earth day, Enviournment, Environment, Hindi, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jain, jeevan, kavita, Save water, water, water conservation, Water crisis, World on August 28, 2018| Leave a Comment »
बादल जो घिरे,
कई रंगों से भरे,
आपस मे मिले,
मिल कर कड़के,
किरणों से मिले,
सतरंगी आँचल लिए,
कल्पना के पटल पर,
हजारो रंग भर दिए,
आकाश में,
उन्मुक्त विचरते,
पवन के वेग संग,
आंनद में भरते,
हज़ारो बूंद बन,
धरती पर बिखरते,
नाचती कूदती बूंदों सी,
अठखेलिया करते,
मिल कर रेत संग,
उसके सीने में दफन होते,
हर एक के जीवन मे,
स्फूर्ति भरते,
रेत से नीचे जा,
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अमृत सम ऊपर आकर,
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प्यास हरते।
या बादल बन,
फिर से,
रंग प्रकृति में भरते।
मैं और मेरी जिंदगी
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मेरे और जिंदगी में अक्सर,
कशमकश चलती है,
अगर भागता हूँ पीछे,
तो और तेज भागती है,
थक कर ठहर जाऊ,
तो यह भी थमी सी लगती है,
अगर मैं खुशी से देखु,
तो यह सतरंगी सी दिखती है,
अगर बैठ कर सोचु,
तो यह खाली केनवास सा दिखती है,
अगर मैं बनु ज्यादा चालक,
यह उलझी सी लगती है,
अगर में लेने लगू आनंद,
यह बड़ी सुलझी दिखती है,
जिंदगी अगर में तमन्ना के पहाड़ चुनु,
बहुत दूर सी दिखती है,
अगर मैं चुन लू संतोष का फल,
यह परिपूर्ण सी दिखती है।
दोस्तो एक बात यही समझ मे आयी है, जीवन आपकी अपनी कृति है, जैसा आप बनाना चाहते हो, बनती जाती है, रंग भरो तो रंगीन, तेज चलो तो तेज, आनंद लो तो सहज……
कैसे भूल पाओगे….
Posted in What I Feel, tagged aansu, ajnabee, anniversary, Appraisal, अरमान, आँगन, आँचल, इच्छा, इतिहास, उन्नति, उम्मीद, कवि, कविता, काफी ना था, कालेज, केंटीन, क्या बात होगी, खुशबू, खुशियाँ सिमट, गम, जन्मदिन, जश्न, जिंदगी, जीना, जीवन, तेरापंथ, त्यौहार, दिल, दुनिया, दुलार, दोस्त, दोस्ती, नया सवेरा, नशा, प्यार, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भरत बेगवानी, भारत माता, मंजिल, मुकाम, मेरी कामना, यादें, राजलदेसर, रास्ता, राह, रिश्ते, लम्हे, वर्षगाँठ, शायरी, हास्य व्यंगय, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, bharat jain, canteen, college, convocation, dil, gam, Happy birthday, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jain, jeevan, Jindgi, kavita, khushi, library, Poem, Poetry, pyaar, rajasthan, research reports, Sister, World, Yaad on June 29, 2018| Leave a Comment »
गुजरा जब कालेज के सामने से,
नज़र पड गयी बरबस कालेज के द्वार पर,
सहम गया वक्त, और ठिठक कर रुक गया,
निकल रहा था दोस्तो की वो टोला,
कुछ हाथों में हाथ थे, कुछ कंधे साथ थे,
कोई हंस रहा था, कोई खीज रहा था,
वक्त शायद 18 साल पहले चला गया था,
चल पड़ा वो पुराना चलचित्र फिर आंखों में,
वो मंजर कैसे भूल पाओगे।
एक दिल आजादी का जश्न मनाता था,
तो एक दिल भविष्य के सपने सजाता था,
वो पहले दिन रैंगिग का डर खूब सताता था,
वो पहले दिन क्लास में नए लोगो से मिलना खूब भाता था,
कुछ नए दोस्तो, कुछ नए चहरो से मिलना समझ आता था,
अपने किस्से, उनकी कहानी सुनना नए अनुभव लाता था,
इनमे से कुछ दोस्त अनमोल बन जायेंगे, ये कौन समझ पाता था,
नया अनुभव, आजादी, दोस्त, पहले दिन का अकेलापन, कैसे भूल पाओगे।
वो केंटीन में समोसे खाना,
बैठ कर ठहाके लगाना,
आज तेरी कल मेरी बारी लगाना,
एक कोल्ड ड्रिंक से 3 दोस्तो को निपटाना,
अपना खत्म कर, दूसरे के हिस्से पर हाथ चलाना,
बैठ कर टेबल का तबला बजाना,
अपने को अनु मालिक समझ गाने गाना,
कभी कॉलेज के बाहर छोले कुलचे खाना,
केले वाले से भाव ताव लगाना,
कोने वाली दूकान में पेट्टी, कोल्डड्रिंक की पार्टी उड़ाना,
क्या वो पल वापिस नहीं लाना चाहोगे।
दोस्तों से गुहार लगाते थे,
ट्यूशन के पैसे बचाते थे,
दोस्तों के ट्यूशन नोट्स की कॉपी कराते थे,
बटुए में ज्यादा कुछ नहीं होता था,
पर दिल में बहुत अमीरी हुआ करती थी,
दोस्तों के रूप में बहुत सी बैंक आस पास घुमा करती थी,
कभी किसी को पैसे की कमी नहीं खलती थी,
वो रईसी के दिन, वो साथ, कैसे भूल पाओगे।
वो बर्थडे का दिन आना,
कई दिन से पैसे बचाना,
महीनो की पाकेट मनी का साफ़ हो जाना,
भाई के बर्थडे पर ग्रैंड पार्टी होगी,
दोस्तों की ऐसी रटन लगाना,
कमीनो का एक भी गिफ्ट ना लेकर आना,
पार्टी में बिन बुलाए फ्रेंड्स को ले आना,
बजट बिगड़ता देख खुद ही पैसे मिलाना,
वो अपनापन, वो बर्थडे, वो दोस्त, कैसे भूल पाओगे।
क्लास बंक करने में बड़ा मजा आता था,
फिर कैंटीन या लाइब्रेरी में बैठा जाता था,
लड़कियों के लिए यह जगह सबसे सेफ थी,
सबसे ज्यादा प्यार के अफ़साने यही गाये जाते थे,
कुछ हँसते चहरे तो, कुछ टूटे दिल पाये जाते थे,
कुछ दोस्त किसी रोते को मनाते पाये जाते थे,
वो कंधे, वो अफ़साने, वो दीवाने, अब कहाँ ढूंढ पाओगे।
परीक्षा के दिन गजब ढाते थे,
अटेंडेंस पूरी करने के लिए NSS, का सहारा लगाते थे,
फाइन भर कर परीक्षा में एंट्री पाते थे,
दिन रात एक हो जाते थे,
केंटीन खाली तो लाइब्रेरी फुल हाउस बन जाते थे,
नोट्स बदलने के सिलसिले और तेज हो जाते थे,
आपस में गठबंधन बनाये जाते थे,
फिर भी जब एक के ज्यादा और दूसरे के कम नंबर आते,
तो कमीनेपन के इल्जाम लगाये जाते थे,
वो समन्वय, वो प्यार भरा धोखा, कैसे भूल पाओगे।
आ गया था अंतिम दिन,
आँखे अब होती थी नम,
नम्बर एक्सचेंज करते थे,
गले मिल कर रोते थे,
Keep in Touch कहते थे,
कितने पीछे छूटे थे,
कितने सपने टूटे थे,
काश वो दिन लंबे हो जाते,
काश वो दिन वापिस आ जाते,
………वो सब कैसे भूल पाओगे………
आज सारे वादे टूट गए है,
जिंदगी की आपाधापी में खो से गए है,
समय की रफ़्तार ऐसी थी,
नौकरी और पैसे की भूल भुलैया में खो से गए है,
आज भी आई याद तो,
होठों पर मुस्कान,
और आँख में नमी आई,
जीने की एक ललक फिर से भर आई,
दोस्तों…
एक बार वापिस मुड़कर देखो,
जिंदगी वापिस मिल जायेगी,
गम की काई मिट जायेगी,
वो यादे फिर से मिल जायेगी,
नजरे रोशन हो जायेगी,
जीवन की उमंग मिल जायेगी।
ना कुछ भूल पाये हो, ना कुछ भूल पाओगे………
ना कुछ भूल पाओगे………
जल संरक्षण..Save Water
Posted in What I Feel, tagged कवि, कविता, ग्लोबल वार्मिंग, जल, जल ही जीवन है, तेरापंथ, देश, नरेंद्र, पर्यावरण, पर्यावरण दिवस, पानी, पानी बचाओ, बेगवॉनी, भरत, राजलदेसर, विश्व, संरक्षण, समस्या, हिंदी कविता, Conservation, Enviournment, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, Poem, Poetry, Protection, Save water, water, Water crisis, World on June 15, 2018| Leave a Comment »
आओ सुनाऊ तुम्हे एक कहानी,
एक था राजा, एक थी रानी,
खूब किया खर्च, अब कम बचा पानी,
त्राहि चहु और, बस पानी ही पानी।
आओ सुनाऊ……
राजा था जिद्दी, पानी वेस्ट करता,
ना कहा सुनता, घंटो नाहता रहता,
राज्य में सुखा, सब कुओं का पानी,
खूब ढूंढा, पर ना मिले पानी,
पानी न मिलता, पानी ना बनता,
ये तो है, खुदा की मेहरबानी।
हर तरफ दंगे, बस चाहिए पानी,
पर पानी ना मिला, था खत्म अब पानी,
राजा था बेबस, बेबस थी वो रानी,
प्यास से आजिज, मर रहे प्राणी,
मर गया राजा, मर गई रानी,
रह गया अब तो बस आंख में पानी,
त्राहि चहु और, बस पानी ही पानी।
यही है हमारे फ्यूचर की कहानी,
सोचो थोड़ा सा, तुम चिंतन कर लो,
पानी का थोडा, संरक्षण कर लो,
कल न कहना, अब ना बचा पानी,
सुखद अंत से हो खत्म कहानी,
खुश रहे प्रजा, खुश राजा रानी।
आओ सुनाऊ तुम्हे एक कहानी…..