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Posts Tagged ‘Happy birthday’


गुजरा जब कालेज के सामने से,
नज़र पड गयी बरबस कालेज के द्वार पर,
सहम गया वक्त, और ठिठक कर रुक गया,
निकल रहा था दोस्तो की वो टोला,
कुछ हाथों में हाथ थे, कुछ कंधे साथ थे,
कोई हंस रहा था, कोई खीज रहा था,
वक्त शायद 18 साल पहले चला गया था,
चल पड़ा वो पुराना चलचित्र फिर आंखों में,
वो मंजर कैसे भूल पाओगे।

एक दिल आजादी का जश्न मनाता था,
तो एक दिल भविष्य के सपने सजाता था,
वो पहले दिन रैंगिग का डर खूब सताता था,
वो पहले दिन क्लास में नए लोगो से मिलना खूब भाता था,
कुछ नए दोस्तो, कुछ नए चहरो से मिलना समझ आता था,
अपने किस्से, उनकी कहानी सुनना नए अनुभव लाता था,
इनमे से कुछ दोस्त अनमोल बन जायेंगे, ये कौन समझ पाता था,
नया अनुभव, आजादी, दोस्त, पहले दिन का अकेलापन, कैसे भूल पाओगे।

वो केंटीन में समोसे खाना,
बैठ कर ठहाके लगाना,
आज तेरी कल मेरी बारी लगाना,
एक कोल्ड ड्रिंक से 3 दोस्तो को निपटाना,
अपना खत्म कर, दूसरे के हिस्से पर हाथ चलाना,
बैठ कर टेबल का तबला बजाना,
अपने को अनु मालिक समझ गाने गाना,
कभी कॉलेज के बाहर छोले कुलचे खाना,
केले वाले से भाव ताव लगाना,
कोने वाली दूकान में पेट्टी, कोल्डड्रिंक की पार्टी उड़ाना,
क्या वो पल वापिस नहीं लाना चाहोगे।

दोस्तों से गुहार लगाते थे,
ट्यूशन के पैसे बचाते थे,
दोस्तों के ट्यूशन नोट्स की कॉपी कराते थे,
बटुए में ज्यादा कुछ नहीं होता था,
पर दिल में बहुत अमीरी हुआ करती थी,
दोस्तों के रूप में बहुत सी बैंक आस पास घुमा करती थी,
कभी किसी को पैसे की कमी नहीं खलती थी,
वो रईसी के दिन, वो साथ, कैसे भूल पाओगे।

वो बर्थडे का दिन आना,
कई दिन से पैसे बचाना,
महीनो की पाकेट मनी का साफ़ हो जाना,
भाई के बर्थडे पर ग्रैंड पार्टी होगी,
दोस्तों की ऐसी रटन लगाना,
कमीनो का एक भी गिफ्ट ना लेकर आना,
पार्टी में बिन बुलाए फ्रेंड्स को ले आना,
बजट बिगड़ता देख खुद ही पैसे मिलाना,
वो अपनापन, वो बर्थडे, वो दोस्त, कैसे भूल पाओगे।

क्लास बंक करने में बड़ा मजा आता था,
फिर कैंटीन या लाइब्रेरी में बैठा जाता था,
लड़कियों के लिए यह जगह सबसे सेफ थी,
सबसे ज्यादा प्यार के अफ़साने यही गाये जाते थे,
कुछ हँसते चहरे तो, कुछ टूटे दिल पाये जाते थे,
कुछ दोस्त किसी रोते को मनाते पाये जाते थे,
वो कंधे, वो अफ़साने, वो दीवाने, अब कहाँ ढूंढ पाओगे।

परीक्षा के दिन गजब ढाते थे,
अटेंडेंस पूरी करने के लिए NSS, का सहारा लगाते थे,
फाइन भर कर परीक्षा में एंट्री पाते थे,
दिन रात एक हो जाते थे,
केंटीन खाली तो लाइब्रेरी फुल हाउस बन जाते थे,
नोट्स बदलने के सिलसिले और तेज हो जाते थे,
आपस में गठबंधन बनाये जाते थे,
फिर भी जब एक के ज्यादा और दूसरे के कम नंबर आते,
तो कमीनेपन के इल्जाम लगाये जाते थे,
वो समन्वय, वो प्यार भरा धोखा, कैसे भूल पाओगे।

आ गया था अंतिम दिन,
आँखे अब होती थी नम,
नम्बर एक्सचेंज करते थे,
गले मिल कर रोते थे,
Keep in Touch कहते थे,
कितने पीछे छूटे थे,
कितने सपने टूटे थे,
काश वो दिन लंबे हो जाते,
काश वो दिन वापिस आ जाते,
………वो सब कैसे भूल पाओगे………

आज सारे वादे टूट गए है,
जिंदगी की आपाधापी में खो से गए है,
समय की रफ़्तार ऐसी थी,
नौकरी और पैसे की भूल भुलैया में खो से गए है,
आज भी आई याद तो,
होठों पर मुस्कान,
और आँख में नमी आई,
जीने की एक ललक फिर से भर आई,

दोस्तों…
एक बार वापिस मुड़कर देखो,
जिंदगी वापिस मिल जायेगी,
गम की काई मिट जायेगी,
वो यादे फिर से मिल जायेगी,
नजरे रोशन हो जायेगी,
जीवन की उमंग मिल जायेगी।

ना कुछ भूल पाये हो, ना कुछ भूल पाओगे………

ना कुछ भूल पाओगे………

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स्नेह की भाषा जानती है,
भूख की वर्णमाला जानती है,
प्यार की परिभाषा जानती है,
हर समस्या की औषध जानती है,
हाँ, यह औरत है,
जो मुझको मुझसे बेहतर जानती है।
कभी मां बनकर मुझे पालती है,
कभी बहन बनकर स्नेह उड़ेलती है,
कभी पत्नी बनकर परछाई बनती है,
कभी बेटी बनकर उमंगे भरती है,
हाँ, यह औरत है,
जो मुझमे ऊर्जा का संचार करती है।
बच्चो को देख चहक उठती है,
भाई को देख झगड़ती है,
पति को देख रूठती है,
पिता को देख नखरे करती है,
हाँ, यह औरत है,
जो मुझमे जीवन के रंग भरती है।
यह जीवन भर त्याग करती है,
जीवन भर याद करती है,
जीवन भर साथ देती है,
जीवन भर फिक्र करती है,
“भरत”, यह औरत है,
जो जीवन को पूर्ण करती है।

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समय का पहिया चलता गया,
कुछ मैं भी उसके साथ चला,
कुछ ढंग बदला,
कुछ रंग बदला,
कुछ तो अपने आप चला।
कुछ ममता के आंचल में,
कुछ अनजानी सी नजरो में,
चंद लोगो की बातों में,
सबको अपनाते अपनाते,
मेरा ये जीवन साथ चला।
अनजाना आभास लिए,
कुछ चातक की सी प्यास लिए,
चंदा सा उजास लिए
तारों की मीठी छांव चला।
कुछ कुछ पुरानी यादें है,
कुछ आधे अधूरे वादे है,
कुछ रास्तो को समझाना है,
कि मैं भी उनके साथ चला।
जीवन यू बदलता जाता है,
बचपन से यह जब निकले,
बंधन में बंधता जाता है,
“भरत” जीवन के पड़ावों में,
मैं तो सबके साथ चला,
दरिया ज्यो मैं प्यास बुझाता,
मैं तो सबके साथ चला॥

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सांसो की करेंसी एक दिन Out of Date हो जायेगी,
तब तक इंतज़ार किया तो बहुत Late हो जायेगी,
कमा लो कुछ खुशियां, कुछ हंसी, कुछ अच्छे कर्म,
भर लो खजाने रिश्तो के, मुस्कानों के,
यही वो पूँजी है तो सात पीढ़ी के काम आएगी।
“भरत” मरने के बाद भी तुम्हे लोगो के बीच जिन्दा कर जायेगी।

।।ॐ अर्हम।।

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सुबह की रौशनी कहू, या चंदा की चांदनी कहू,

जीवन का उपहार कहू, या सपनो में भरा प्राण कहू,

कुदरत का आशीष कहू, भगवान् का वरदान कहू,

दिल का उत्साह कहू, या दिल में भरी उमंग कहू,

भंवरे की गूंजन कहू, या कोयल की कूक कहू,

घुंघरू की छम-छम कहू, या शंख की गूँज कहू.

मा का रूप कहू, या पिता का प्यार कहू,

जीवन का उपवन कहू या स्वर्ग का रूप कहू,

तेरे जीवन में होने से पूरे घर में उजास है,

तेरे होने से जिन्दगी में ख़ुशी का एहसास है,

महकता है घर का आँगन, हर दिल में उल्लास है|

जब भी हाथ उठे,

खुदा से………….

जब भी शीश झुके,

ईश से………….

तेरे लिए दुआ मांगु,

तू जिए हजारों साल,

साल में दिन हो पचास हज़ार|

लक्ष्मी हो चरणों की दासी,

सरस्वती भी मेहरबान,

दिन दूनी तुम प्रगति पाओ,

खुले भाग्य का द्वार|

मेरी है बस यही कामना,

प्रगति शिखर तुम चढ़ते जाओ,

आसमान भी बौना लगे,

इतनी ऊंचाई तुम पाओ,

हर मंजिल हो बस खड़ी सामने,

जैसे ही तुम कदम बढाओ,

अरमानो का बना के मंदिर,

जीवन का हर  सुख तुम पाओ|

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नव दिन, नव पल,
नव रंग, नया सवेरा आया हैं,

डगर डगर यु चलने वाले,

सपनो का संसार बसा ले,

नव जीवन का संकल्प लेकर,

नया सवेरा आया है|

 

सोने जैसी जगमग किरणे,

रोशन करती जीवन पथ को,

सतरंगी रंगों के आँचल,

तू अपनी बाहों में भर ले,

घना अँधेरा, रात भयानक,

तू पीछे छोड़ आया है,

जीवन में सत रंगी भरने,

नया सवेरा आया हैं|

 

पंछी का तू कलरव सुन ले,

या पानी की कल-कल सुन ले,

मुक्त मधुर हवा के संग फिर,

पंख लगा कर तू अब उड़ ले,

सपनो को अब सच करने का,

नया सवेरा आया हैं|

 

सही रास्ता, सही है मंजिल,

पत्थर राहो में आज नहीं हैं,

मन में मस्ती, गीत लबो पे,

होठों पर मुस्कान वही हैं,

हर पल को फिर रोशन करने,

नया सवेरा आया हैं|

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अमेरिका बोला भारत से, कहो कैसे हो यार|
पाक के बारे में, बोलो क्या है विचार|
 
भारत बोला पाकिस्तान है बिल्कुल सच्चा,
दूजा कोई देश नहीं है उससे अच्छा|
 
अमेरिका बोला, फिर हथियार क्यों बना रहे हो?
बेमतलब ही पाक को तुम डरा रहे हो|
 
भारत बोला, रे बुध्दू कुछ बात समझ,
मैं तुझको उसका कारण भी बता रहा हूँ,
पाक रहे ईमानदार, पाक बना रहे ईमानदार,
इसीलिए तो बम सारे मैं बना रहा हूँ|

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जब भी हाथ उठे,
खुदा से………….
जब भी शीश झुके,
ईश से………….
तेरे लिए दुआ मांगु,
तू जिए हजारों साल,
साल में दिन हो पचास हज़ार|
लक्ष्मी हो चरणों की दासी,
सरस्वती भी मेहरबान,
दिन दूनी तुम प्रगति पाओ,
खुले भाग्य का द्वार|

मेरी है बस यही कामना,
प्रगति शिखर तुम चढ़ते जाओ,
आसमान भी बौना लगे,
इतनी ऊंचाई तुम पाओ,
हर मंजिल हो बस खड़ी सामने,
जैसे ही तुम कदम बढाओ,
अरमानो का बना के मंदिर,
जीवन का हर  सुख तुम पाओ|

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