कुछ था गर ऐतबार,
तुझको अ सनम,
पास आकर एक बार,
बताते तो सही,
शायद तार फिर से,
जुड़ ही जाते,
यकी हम पे जरा सा,
दिखाते तो सही,
क्यो कर मन ही मन,
में यू घुटते रहे,
लफ्ज जुबां पर,
कम से कम लाते तो सही,
फासला रेशे का भी रहता नही,
हाथ एक बार,
तुम बढ़ाते तो सही,
बातों के चिराग बुझाते गए,
निशां प्यार के मिटाते गए,
फासले वहम के तुम बढाते गए,
दो कदम थे दरम्यान तेरे मेरे,
कदम चलते रहे,
दूर जाते गए।
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दूर जाते गए
Posted in Just मोहब्बत, tagged 2019, कदम, गम, गलतफहमी, जाते गए, जुदाई, दूर, दूरिया, प्यार, फासले, बेगवॉनी, बढ़ाना, मेरी कामना, मोहब्बत, राजलदेसर, शायरी, begani, Bharat, distance, love, misunderstanding, rajaldesar, shayar, shayari on May 10, 2019| Leave a Comment »
मुखौटा
Posted in What I Feel, tagged 2018, aadat, ajnabee, कवि, कविता, गम, गरीबी, घायल, जहर, जिंदगी, जीना, जीवन, जोकर, झगड़े, थकान, धूप, फूल, बहरूपिया, भरत, भरत बेगवानी, मजहब, मुखौटा, रिश्ते, वैर, सुकून, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, dard, dil, gam, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, kavita, mask, multifaced, Poem, rajaldesar, shayar, shayari on December 30, 2018| Leave a Comment »
मुखौटे में छिपे, हज़ार मुखौटे,
कुछ है काले, कुछ है गोरे,
कुछ छुपाना चाहे,
कुछ बतलाना चाहे,
पर वर्तमान की जरूरत,
बन गए हैं मुखौटे।
क्योकि इन मुखौटों ने,
कई राज छुपा रखे है,
कुछ ने चेहरे पे मुखौटे तो,
कुछ ने मुखौटे पे मुखौटे लगा रखे है।
कुछ है उदासी को समेटे,
कुछ ने आँसू छुपा रखे है,
तन्हाई लेकर कुछ बैठे,
कुछ ने दर्द छुपा रखे है,
कुछ ने खुशियां दबा रखी है,
कुछ ने नींदे चुरा रखी है,
कुछ ने मजबूती दी है,
कुछ ने कमजोरी छुपा रखी है,
कुछ ने फरेब दबा रखा है,
कुछ ने ईष्या छुपा रखी है,
कुछ पापी है इसके पीछे,
कुछ ने पूण्य छुपा रखे है,
कुछ रावण है भीतर बैठे,
कुछ ने राम छुपा रखे है,
कुछ ने फूल उगाये अंदर,
कुछ ने जहर छुपा रखे है,
दीपक भी बन बैठे सूरज,
तल पे अंधेरे छुपा रखे है,
मुखोटा ओढ़ कर,
मिलते है हज़ारो मुझसे,
कुछ ने आशीर्वाद रखे है,
कुछ ने खंजर छुपा रखे है॥
दुनिया है यह बहुत अनोखी,
सच्चाई से दूर भागती,
सबको सुख देने की ख्वाहिश,
“भरत” गम अंदर ही दबा रखे है॥
मुखौटे पे मुखौटे लगा रखे है॥
भूल गए
Posted in Just मोहब्बत, tagged 2018, aadat, aansu, अरमान, आँचल, आदत, आलिंगन, इच्छा, उम्मीद, कवि, कविता, गम, जिंदगी, जीवन, दिल, प्यार, फरियाद, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भरत बेगवानी, भूल, मेरी कामना, राह, रिश्ते, लम्हे, शायरी, सुकून, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, bharat jain, dard, dil, gam, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, kavita, khushi, Madhushala, Poem, Poetry, pyaar, rajaldesar, relationship, shayar, shayari, Yaad on October 26, 2018| Leave a Comment »
बांध रखा था पुलिंदा शिकायतों का,
पास क्या आये,
सब शिकवे भूल गए।
काटने को दौडती थी तन्हाईयाँ,
वो करीब क्या आये,
सारी तन्हाई भूल गए।
जलाते थे उम्मीदों के चिराग हर दिन,
करते रहते थे रोशन चहरे का इंतज़ार,
पास क्या आये,
सब अंधेरे बताना भूल गए।
रिसते थे घाव,जो थे गहरे,
यादों की मरहम से सहेजते थे थोड़े,
दीदार क्या हुआ,
“भरत” जख्म दिखाना भूल गए।
फरियाद
Posted in Just मोहब्बत, tagged 2018, aansu, ajnabee, अरमान, आदत, इच्छा, उम्मीद, कवि, कविता, गम, चाँद का टुकड़ा, जाने वाले, जिंदगी, जीना, जीवन, दिल, प्यार, फरियाद, बूंद, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भरत बेगवानी, मेरी कामना, राजलदेसर, लम्हे, शायरी, सन्नाटा, सुकून, स्त्री, हिंदी, Begwani, Bharat, bharat Begwani, bharat jain, college, dard, dil, gam, Hindi, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jeevan, Jindgi, kavita, khushi, relationship, shayar, shayari, Yaad on October 22, 2018| Leave a Comment »
चले आये है आज फिर,
उसी आवाज को सुनने,
उसी का नाम लेकर के,
उसी के साथ ही चलने,
एक बार फिर से,
पुरजोर कोशिश करने,
मिल जाये वो हमें,
एक बार फिर से फरियाद करने,
करु क्या, दिल ही ऐसा है,
तमन्ना फिर उमड़ती है,
आरजू फिर से बन बैठी,
उसके दीदार करने की,
वो कहता है,
चले जाओ,
तुम दूर नजरो से,
वो कहता है,
मिटा दो,
मुझको यादों से,
वो कहता है,
दफन कर दो,
जो भी एहसास बाकी है,
कैसे मिटा दूं,
जो भी लम्हे,
यादों मैं बैठे है,
बंद पलको में,
सपने सुनहरे है,
निशानी बनाया है जिसको,
वो जख्म गहरे है,
खामोशी की तान के,
नगमे सुनहरे है,
डूब जाऊ यादों में,
सागर ज्यूँ गहरे है,
दुनिया छोड़ जाऊ,
यह मुश्किल नही लगता,
बस भूल जाऊ तुम्हे,
“भरत” मुमकिन नही लगता।
मैं फिर से हार जाता हूँ
Posted in What I Feel, tagged 2018, ajnabee, आदत, इच्छा, कविता, गम, जिंदगी, जीना, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भरत बेगवानी, मेरी कामना, यादें, राजलदेसर, शायरी, हिंदी, हिंदी कविता, Bharat, dard, dil, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, Jindgi, kavita, Khushboo, khushi, Poem, Poetry, pyaar, relationship, shayar, shayari, star, Yaad on October 18, 2018| Leave a Comment »
तू पास होता है,
ये दिल मुस्कुराता है,
तेरा कुछ दूर जाना,
मुझे बिल्कुल ना भाता है,
तेरे सपने सजाने में,
बड़ा आनंद आता है,
तेरी मुस्कान को देखु,
बडा शकून आता है,
काश ये सच हो,
यही सपने सजाता हूँ,
तू है आज पराया,
एक पल भूल जाता हूँ,
“भरत” हसरत लिए दिल मे,
मैं फिर से हार जाता हूँ।
खुशबू
Posted in What I Feel, tagged 2018, aadat, aansu, ajnabee, अरमान, आदत, इच्छा, उम्मीद, कवि, कविता, काफी ना था, क्या बात होगी, खुशबू, खुशबूं, गम, जिंदगी, जीना, जीवन, दिल, दुनिया, फूल, बेगवानी, भरत, भरत बेगवानी, यादें, शायरी, हिंदी, हिंदी कविता, Bharat, dard, dil, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, Jindgi, kavita, Khushboo, Poem, Poetry, rajaldesar, shayar, shayari, terapanth, Women, Yaad on October 18, 2018| Leave a Comment »
आज खुशबू ने फिर से,
अपने आप को उभारा,
खुद को सूखे पड़े फूल,
से बाहर निकाला,
चल पड़ी हवा के संग,
कई नथूनों को पुकारा,
कई दिलो को संवारा,
आखिरकार आज फिर उसने,
तोड़ कर निराशा के ताले,
खोल दिये अपने लिए,
नभ के नव उजाले॥
मुझसे ये पूछे जिंदगी
Posted in What I Feel, tagged aansu, अरमान, आदत, आनन्द, इच्छा, उन्नति, उम्मीद, कविता, गम, जिंदगी, जीत, जीना, जीवन, दिल, दुनिया, दोस्त, प्यार, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भारत, मजहब, ममता, मानव, मानवता, मुकाम, मेरी कामना, राजलदेसर, हौसला, Begwani, Bharat, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jeevan, Jindgi, kavita, Poem, Poetry, rajaldesar, relationship, shayar, shayari, Yaad on July 6, 2018| Leave a Comment »
कल्पना में घूमते शब्द,
जेहन में कौंधते विचार,
सामने चलते हालात,
दिल मे उबलते जज्बात,
क्या करूँ, क्या ना करू,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
तेज चलती,
धीमी चलती,
कल कल बहती,
खुश रहती,
लालसा में,
आकर्षण में,
प्रार्थना में,
आराधना में,
चाह में,
खयाल में,
क्या मिला जबाब इसका,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
कभी छलावा,
कभी दिखावा,
कभी मर्म,
कभी हकीकत,
कभी भरम,
कभी उमंग,
कभी सफर,
कभी सिफर,
क्या पाया जबाब इसका,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
बड़ी अमृतभरी है,
बड़ी हलाहल सी भी है,
बड़ी उमस है,
बारिश की बूंदे भी है,
बड़ी जद्दोजहद है,
बड़ी ही घुटन है,
लंबी बनु निरर्थक सी,
या सार्थक बनु छोटी सी,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
रोती हुई ये जिंदगी,
हंसती हुई भी जिंदगी,
बंधन में बैठी सोचती,
फुरसत मैं बैठी बुनती,
“भरत” मौत से बदतर हूँ, या
मैं मौत से बेहतर हूँ,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
मैं और मेरी जिंदगी
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मेरे और जिंदगी में अक्सर,
कशमकश चलती है,
अगर भागता हूँ पीछे,
तो और तेज भागती है,
थक कर ठहर जाऊ,
तो यह भी थमी सी लगती है,
अगर मैं खुशी से देखु,
तो यह सतरंगी सी दिखती है,
अगर बैठ कर सोचु,
तो यह खाली केनवास सा दिखती है,
अगर मैं बनु ज्यादा चालक,
यह उलझी सी लगती है,
अगर में लेने लगू आनंद,
यह बड़ी सुलझी दिखती है,
जिंदगी अगर में तमन्ना के पहाड़ चुनु,
बहुत दूर सी दिखती है,
अगर मैं चुन लू संतोष का फल,
यह परिपूर्ण सी दिखती है।
दोस्तो एक बात यही समझ मे आयी है, जीवन आपकी अपनी कृति है, जैसा आप बनाना चाहते हो, बनती जाती है, रंग भरो तो रंगीन, तेज चलो तो तेज, आनंद लो तो सहज……
कैसे भूल पाओगे….
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गुजरा जब कालेज के सामने से,
नज़र पड गयी बरबस कालेज के द्वार पर,
सहम गया वक्त, और ठिठक कर रुक गया,
निकल रहा था दोस्तो की वो टोला,
कुछ हाथों में हाथ थे, कुछ कंधे साथ थे,
कोई हंस रहा था, कोई खीज रहा था,
वक्त शायद 18 साल पहले चला गया था,
चल पड़ा वो पुराना चलचित्र फिर आंखों में,
वो मंजर कैसे भूल पाओगे।
एक दिल आजादी का जश्न मनाता था,
तो एक दिल भविष्य के सपने सजाता था,
वो पहले दिन रैंगिग का डर खूब सताता था,
वो पहले दिन क्लास में नए लोगो से मिलना खूब भाता था,
कुछ नए दोस्तो, कुछ नए चहरो से मिलना समझ आता था,
अपने किस्से, उनकी कहानी सुनना नए अनुभव लाता था,
इनमे से कुछ दोस्त अनमोल बन जायेंगे, ये कौन समझ पाता था,
नया अनुभव, आजादी, दोस्त, पहले दिन का अकेलापन, कैसे भूल पाओगे।
वो केंटीन में समोसे खाना,
बैठ कर ठहाके लगाना,
आज तेरी कल मेरी बारी लगाना,
एक कोल्ड ड्रिंक से 3 दोस्तो को निपटाना,
अपना खत्म कर, दूसरे के हिस्से पर हाथ चलाना,
बैठ कर टेबल का तबला बजाना,
अपने को अनु मालिक समझ गाने गाना,
कभी कॉलेज के बाहर छोले कुलचे खाना,
केले वाले से भाव ताव लगाना,
कोने वाली दूकान में पेट्टी, कोल्डड्रिंक की पार्टी उड़ाना,
क्या वो पल वापिस नहीं लाना चाहोगे।
दोस्तों से गुहार लगाते थे,
ट्यूशन के पैसे बचाते थे,
दोस्तों के ट्यूशन नोट्स की कॉपी कराते थे,
बटुए में ज्यादा कुछ नहीं होता था,
पर दिल में बहुत अमीरी हुआ करती थी,
दोस्तों के रूप में बहुत सी बैंक आस पास घुमा करती थी,
कभी किसी को पैसे की कमी नहीं खलती थी,
वो रईसी के दिन, वो साथ, कैसे भूल पाओगे।
वो बर्थडे का दिन आना,
कई दिन से पैसे बचाना,
महीनो की पाकेट मनी का साफ़ हो जाना,
भाई के बर्थडे पर ग्रैंड पार्टी होगी,
दोस्तों की ऐसी रटन लगाना,
कमीनो का एक भी गिफ्ट ना लेकर आना,
पार्टी में बिन बुलाए फ्रेंड्स को ले आना,
बजट बिगड़ता देख खुद ही पैसे मिलाना,
वो अपनापन, वो बर्थडे, वो दोस्त, कैसे भूल पाओगे।
क्लास बंक करने में बड़ा मजा आता था,
फिर कैंटीन या लाइब्रेरी में बैठा जाता था,
लड़कियों के लिए यह जगह सबसे सेफ थी,
सबसे ज्यादा प्यार के अफ़साने यही गाये जाते थे,
कुछ हँसते चहरे तो, कुछ टूटे दिल पाये जाते थे,
कुछ दोस्त किसी रोते को मनाते पाये जाते थे,
वो कंधे, वो अफ़साने, वो दीवाने, अब कहाँ ढूंढ पाओगे।
परीक्षा के दिन गजब ढाते थे,
अटेंडेंस पूरी करने के लिए NSS, का सहारा लगाते थे,
फाइन भर कर परीक्षा में एंट्री पाते थे,
दिन रात एक हो जाते थे,
केंटीन खाली तो लाइब्रेरी फुल हाउस बन जाते थे,
नोट्स बदलने के सिलसिले और तेज हो जाते थे,
आपस में गठबंधन बनाये जाते थे,
फिर भी जब एक के ज्यादा और दूसरे के कम नंबर आते,
तो कमीनेपन के इल्जाम लगाये जाते थे,
वो समन्वय, वो प्यार भरा धोखा, कैसे भूल पाओगे।
आ गया था अंतिम दिन,
आँखे अब होती थी नम,
नम्बर एक्सचेंज करते थे,
गले मिल कर रोते थे,
Keep in Touch कहते थे,
कितने पीछे छूटे थे,
कितने सपने टूटे थे,
काश वो दिन लंबे हो जाते,
काश वो दिन वापिस आ जाते,
………वो सब कैसे भूल पाओगे………
आज सारे वादे टूट गए है,
जिंदगी की आपाधापी में खो से गए है,
समय की रफ़्तार ऐसी थी,
नौकरी और पैसे की भूल भुलैया में खो से गए है,
आज भी आई याद तो,
होठों पर मुस्कान,
और आँख में नमी आई,
जीने की एक ललक फिर से भर आई,
दोस्तों…
एक बार वापिस मुड़कर देखो,
जिंदगी वापिस मिल जायेगी,
गम की काई मिट जायेगी,
वो यादे फिर से मिल जायेगी,
नजरे रोशन हो जायेगी,
जीवन की उमंग मिल जायेगी।
ना कुछ भूल पाये हो, ना कुछ भूल पाओगे………
ना कुछ भूल पाओगे………
यह औरत है..
Posted in What I Feel, tagged aansu, actor, america, anniversary, award, इतिहास, औरत, कवि, कविता, गम, जिंदगी, जीवन, दिल, दुनिया, देश, दोस्ती, नेता, पत्नी, पिता;, प्यार, बहन, बहिन, बेगवानी, बेगवॉनी, बेटी, भारत, महिला दिवस, मा, माँ, माता, राजलदेसर, रिश्ते, व्रत, शक्ति, शादी, शायरी, स्त्री, हिंदी, Begwani, Bharat, Birthday, dard, Daughter, dil, female foeticide, gam, Happy birthday, Hindi, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jain, jeevan, kavita, linkedin, marriage, Mother, New Year, Poetry, pyaar, rajaldesar, relationship, Salary, shayari, Sister, star, Wife, Women, Womens day, Yaad on May 26, 2018| Leave a Comment »
स्नेह की भाषा जानती है,
भूख की वर्णमाला जानती है,
प्यार की परिभाषा जानती है,
हर समस्या की औषध जानती है,
हाँ, यह औरत है,
जो मुझको मुझसे बेहतर जानती है।
कभी मां बनकर मुझे पालती है,
कभी बहन बनकर स्नेह उड़ेलती है,
कभी पत्नी बनकर परछाई बनती है,
कभी बेटी बनकर उमंगे भरती है,
हाँ, यह औरत है,
जो मुझमे ऊर्जा का संचार करती है।
बच्चो को देख चहक उठती है,
भाई को देख झगड़ती है,
पति को देख रूठती है,
पिता को देख नखरे करती है,
हाँ, यह औरत है,
जो मुझमे जीवन के रंग भरती है।
यह जीवन भर त्याग करती है,
जीवन भर याद करती है,
जीवन भर साथ देती है,
जीवन भर फिक्र करती है,
“भरत”, यह औरत है,
जो जीवन को पूर्ण करती है।