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Archive for October, 2009


अ खुशबू, तू तो हवा का एक झोंका है,

पता ना चला, कब फूलो को छोड़ हवा संग हो गयी,

कब मेरे नथुनों में घुस कर हृदय में बैठ गयी,

जगा कर अरमान इस दिल में,

कब फिर हवा संग हो गयी|

 

उमंगो की कली बन कर खिला था एक पौधे पर,

भगवान ने सितारों को पिघला कर,

रात के आँचल से, ओस की बूंदों के रूप में,

सौप दिया मुझे ये तेरे प्यार का सुन्दर तोहफा,

भंवरों की गुंजन से होकर वशीभूत,

भोर की किरणों ने जब चूम कर जगाया मुझे,

बहती हवा ने, जब तेरा ध्यान दिलाया मुझे,

होकर दिल ने प्रसन्न, पाया तुझे|

 

पता ना चल कब दिल तेरे भंवर में उलझा,

तैरती रही तेरी मंद मंद गंध, इस जेहन में,

खोया रहा आँखें बंद कर, तेरी मनमोहक अदा में,

सुबह हो या शाम, हर पल तुझे ही ढूंढा,

बन कर फूल दिया आसरा तुझे पल भर,

कर हवा संग तुझे, मुरझा कर पायी नियति अपनी|

 

आज भगवान् के चरणों में गिर, अ खुशबू,

तुझे बिखेर रहा हूँ, अपना कर्तव्य पूरा कर रहा हूँ,

प्रेम की राहों में, गुजरता हुआ, अपनी उपलब्धि कहूं,

या कहूं इसे नाकामी, मुरझा रहा हूँ,

या कहूं तो तुझे अपने से दूर कर, फिर हवा संग कर रहा हूँ,

ज्यो ज्यो हो रहे हो दूर, हृदय में छा रहे हो तुम,

मिले तुम्हे मंजिल नयी, यही दुआ संग ले जा रहे हो तुम,

खिलने पर जितनी मिली ख़ुशी, मुरझाने पर उतना याद आ रहे हो तुम,

गम नहीं मुरझाने का, गम है साथ छूट जाने का,

यु तो कर के बगावत “भरत”, कल फिर फूल बन कर आएगा,

पर आज, गम है मेरे सरताज, अंत क्षणों में आपका साथ नहीं पा पायेगा|

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जब भी हाथ उठे,
खुदा से………….
जब भी शीश झुके,
ईश से………….
तेरे लिए दुआ मांगु,
तू जिए हजारों साल,
साल में दिन हो पचास हज़ार|
लक्ष्मी हो चरणों की दासी,
सरस्वती भी मेहरबान,
दिन दूनी तुम प्रगति पाओ,
खुले भाग्य का द्वार|

मेरी है बस यही कामना,
प्रगति शिखर तुम चढ़ते जाओ,
आसमान भी बौना लगे,
इतनी ऊंचाई तुम पाओ,
हर मंजिल हो बस खड़ी सामने,
जैसे ही तुम कदम बढाओ,
अरमानो का बना के मंदिर,
जीवन का हर  सुख तुम पाओ|

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चले हो दूर तुम हमसे, पर हमे ना भुला पाओगे,
जब जब आओगे आईने के सामने,
चेहरा मेरा ही पाओगे।

मिलेगे तुम्हे और भी, चाहेगे तुम्हे और भी,
पर जब जब तुम लोगे सांस,
हर सांस में महक मेरी ही पाओगे।

जब भी बैठोगे खाने को,  एक कौर भी न खा पाओगे,
जो भी हाथ उठेगा मुंह की तरफ,
हाथ मेरा ही पाओगे।

मंजिल की तरफ, तुम  जब भी कदम बढाओगे,
मुझको खुदा से दुआ करते,
राहों में हरदम पाओगे।

चाहे तुम अजनबी कहलो,  चाहे बेवफा कहलो,
जब जब गूंजेगा गीत कोई,
स्वर मेरे ही पाओगे।

चाहे जिन्दगी धोखा दे दे, चाहे मौत से हो जाए वफ़ा,
पर जब जब आँखें खोलोगे,
मेरी आँखें ही पाओगे।।

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डम डम बजा डमरू प्यारे,
फ़िल्मी स्टार मैदान में पधारे,
दलों में मच गयी खिंच-तान,
तुम तारणहार बनो हमारे|

जिसकी जितनी सेना, उतनी कामयाबी पाओ,
मंझे हुए अभी-नेताओ (अभिनेताओ) से जनता को लुभाओ|
जनता हुई बोर, सुन नेताओ के भाषण,
अभिनेत्रियों के ठुमकों से उनको बहलाओ|

आओ आओ, तुमको हसीं सपने दिखालाऊ,
तोड़ कमर जनता की, मैं फिर बोझ बन जाऊ|
जनता हुई समझदार, हमको झूठा माने,
पर इन सबको तो अपना आदर्श ये माने|

बड़े बड़े दलों ने अपना दांव लगाया,
बड़े बड़े सितारों को अपने दल में बुलाया|
स्टार रुपी भंग से सब मस्त हो जाओ,
देकर हमको वोट, गहरी नींद सो जाओ|

हम सारे है अभिनेता, हमको कुछ नहीं आता,
हम आये है लेकर यहाँ, सच्चे अभिनय का वादा|
अरे दोस्तों, हमे यहाँ तो हिट करवाओ,
पिक्चरें धडा-धड पिट रही, यहाँ तो फिट करवाओ|

सत्ता वाले कर रहे हमसे, फिर सत्ता की आस,
आडवानी सोच रहे, इनसे दूर होगा वनवास|

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