भोर हुई, आँखों ने ढूंढा,
मेरे साथी, इधर उधर,
तेरे बिन लगा अधुरा,
ये कैसा आया सवेरा,
आँखों से दो मोती छलके,
गालों पर आकर के बोले,
नहीं करेंगे आगे क्रंदन,
आ कर कर लो अब आलिंगन।
Archive for February, 2014
आलिंगन
Posted in Just मोहब्बत, tagged आलिंगन, कविता, शायरी, हिंदी, Begwani, Bharat, jain, rajaldesar on February 12, 2014| Leave a Comment »
इच्छा परिमाण
Posted in What I Feel, tagged इच्छा, Begwani, Bharat, hindi poetry, jain, rajaldesar, terapanth on February 11, 2014| 1 Comment »
दौलत की चाह में,
रो रहा है आदमी,
चैन शकुन, जिन्दगी का,
खो रहा है आदमी,
रिश्तों का है भान,
ना दोस्ती का ध्यान,
अपनी ही पीठ में खंजर,
घोप रहा है आदमी,
माँ-बाप, भाई बहिन,
से दूर हो रहा आदमी,
ऊपर से है हँसता,
भीतर से रो रहा है आदमी,
जागने का ढोंग करता,
गहरी मूर्च्छा में है आदमी,
आम की है चाह,
बीज आक के बो रहा आदमी,
सोने की चमक और,
सिक्कों की खनक में,
असली चमक खो रहा आदमी,
इच्छाओं के अनंत आकाश में,
“भरत” क्या खोज रहा है आदमी,
इच्छा परिमाण ही सुख की जड़,
क्यों भूल गया है आदमी।