समरसता के रंगों संग,
हम होली का आगाज करे,
रंग बिखेरे बाहर कुछ,
कुछ का भीतर संचार करे,
ले गुलाल प्यार स्नेह की,
सब पर हम बरसा डाले,
रंग प्यार मोहब्बत ले हथेली,
सबके चेहरे रंग डाले,
हर एक की पीड़ा हर ले हम,
हर एक का दुख साझा कर ले,
खुशियों की बौछारों से,
हर एक का दामन भीगा दे,
ना कोई मन में मेल रखे,
ना मन में कोई मलाल रखे,
बन आसमान सा नील हृदय,
श्वेत कपोत का स्थान रखे,
सूरज ज्यो रक्तिम आभा को,
हर जीवन मे पहुंचाए हम,
ले प्रकृति का ये हरा रंग,
हर घर समृद्धि भर आये हम,
ये श्याम रंग के बादल ज्यो,
प्यार की बारिश बरसायें हम,
स्वर्णिम रंग सा प्रकृति पटल पर,
हर जीवन मे सरसायें हम,
इंद्रधनुष के रंगों सा,
हर एक का जीवन बनाये हम,
कुछ यूं होली का आगाज करे,
हर दिल मे “भरत” उल्लास भरे,
मस्ती में हो हर एक मानव,
दुनिया मे प्यार का रंग भरे।
Posts Tagged ‘त्यौहार’
होली है….
Posted in What I Feel, tagged 2019, abeer, अबीर, अमृतधारा, इंद्रधनुष, कविता, गुलाल, चंग, जल, त्यौहार, नीला, पानी, पीला, प्यार, प्यार सौहार्द, फूल, बादल, बेगवॉनी, बौछार, भरत, भरत बेगवानी, रंग, वर्षा, श्वेत, समरसता, हरा, हिंदी, हिंदी कविता, होली, colors, Conservation, festival of color, gulaal, happy holi, holi hai, holi poem, joy, love, Poem, Poetry, rain, rajaldesar, Save water, water on March 17, 2019| Leave a Comment »
दीवाली
Posted in What I Feel, tagged 2018, aansu, अंधकार भगाये, अरमान, आनन्द, उन्नति, उम्मीद, कवि, कविता, गरीबी, जिंदगी, जीना, जीवन, त्यौहार, दशहरा, दिल, दीपावली, दीवार, दीवारे, दीवाली, पर्यावरण, पर्यावरण दिवस, पीयूष, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भरत बेगवानी, मजहब, मेरी कामना, राजलदेसर, विजयादशमी, शायरी, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, bharat Begwani, bharat jain, Deepawali, dil, Diwali, earth day, Enviournment, Environment, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, Jindgi, kavita, khushi, Poem, Poetry, rajaldesar, rajasthan, shayar, shayari, terapanth on November 1, 2018| Leave a Comment »
दीवाली के शोर ने,
बाजारों की चकाचौंध ने,
और मिठाई की दुकानों ने,
तरसा दिया था उजालों ने,
मेरा घर रोशन किया,
पड़ोसी के दियो के उजालों ने।
बाजारों में बढ़ती महंगाई,
मौके का फायदा उठाती दुकाने,
कुछ खरीदने को तरसता मन,
पर मजबूर करती खाली जेब,
दिल मे मिठास घोल दी,
मीठी शुभकामना देने वालों ने।
रिश्वत से भर लिया घर, लेने वालों ने,
अवसर का लाभ लिया,
फायदा उठाने वालों ने,
पैसे वाले, पटाखें शराब और
जुए में फूंक के सोये,
खाली जेब वाले भूखे ही सोये,
“भरत” ये कैसी दीवाली,
अंधेरे छोड़ दिये उजालों ने,
मांगी थी सुख समृद्धि शांति भरी नींद,
पर सोने ना दिया इन्ही सवालों ने।
विजयादशमी
Posted in What I Feel, tagged 2018, अंधकार भगाये, उत्तम धर्म, कविता, जीत, जीवन, त्यौहार, दशहरा, दिवस, दीप, दीपावली, दीवार, दुश्मनी, दोस्ती, धर्म, धर्म के नाम पर, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भरत बेगवानी, भारत, मानवता, मैत्री, राजलदेसर, राम, रावण, लक्षमीनारायण, विजयादशमी, विश्व, वैर, शाम, शायरी, हनुमान, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, Deepawali, Diwali, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, kavita on October 19, 2018| Leave a Comment »
काम, क्रोध, मद, मोह,
लोभ, द्वेष, हिंसा, चोरी,
आलस्य और अहंकार,
ये दस दुर्गुण का दहन करो,
तो मने दशहरा त्योहार,
मने दशहरा त्योहार,
दशो दिशाएं चहके,
मानवता की महक,
हर तरफ महके,
कलयुग में फिर हो जाये,
राम का अवतार,
इन दुर्गुणो का मानव,
कर ले गर संहार।
कर ले गर संहार,
अंदर का रावण जल जाए,
राम राज्य का सपना,
फिर से सच हो जाये,
प्रेम भाईचारा हर तरफ,
फैल सा जाए,
विजयादशमी पर्व,
“भरत” सार्थक हो जाये।
मैं और मेरी जिंदगी
Posted in What I Feel, tagged aansu, अरमान, आनन्द, इच्छा, इच्छा परिमाण, उन्नति, उम्मीद, कवि, कविता, गम, जिंदगी, जीना, जीवन, तुच्छ स्वार्थ, तेज, त्यौहार, दल, दिल, दीवार, दीवारे, दुनिया, दोस्त, दोस्ती, दोहे, नया सवेरा, नाश, प्यार, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भाई का पत्र, भागती, ममता, मानव, मानवता, मुकाम, मेरी कामना, मोती, यादें, राजलदेसर, लम्हे, विश्व, शायरी, समस्या, सुकून, हिंदी, हिन्दू मुस्लिम, Begwani, Bharat, bharat jain, dard, dil, gam, Hasya Vyang, Hindi, hindi kavita, Hindi poem, holi hai, jeevan, Jindgi, kavita, khushi, Poetry, shayari, terapanth, World on July 2, 2018| Leave a Comment »
मेरे और जिंदगी में अक्सर,
कशमकश चलती है,
अगर भागता हूँ पीछे,
तो और तेज भागती है,
थक कर ठहर जाऊ,
तो यह भी थमी सी लगती है,
अगर मैं खुशी से देखु,
तो यह सतरंगी सी दिखती है,
अगर बैठ कर सोचु,
तो यह खाली केनवास सा दिखती है,
अगर मैं बनु ज्यादा चालक,
यह उलझी सी लगती है,
अगर में लेने लगू आनंद,
यह बड़ी सुलझी दिखती है,
जिंदगी अगर में तमन्ना के पहाड़ चुनु,
बहुत दूर सी दिखती है,
अगर मैं चुन लू संतोष का फल,
यह परिपूर्ण सी दिखती है।
दोस्तो एक बात यही समझ मे आयी है, जीवन आपकी अपनी कृति है, जैसा आप बनाना चाहते हो, बनती जाती है, रंग भरो तो रंगीन, तेज चलो तो तेज, आनंद लो तो सहज……
कैसे भूल पाओगे….
Posted in What I Feel, tagged aansu, ajnabee, anniversary, Appraisal, अरमान, आँगन, आँचल, इच्छा, इतिहास, उन्नति, उम्मीद, कवि, कविता, काफी ना था, कालेज, केंटीन, क्या बात होगी, खुशबू, खुशियाँ सिमट, गम, जन्मदिन, जश्न, जिंदगी, जीना, जीवन, तेरापंथ, त्यौहार, दिल, दुनिया, दुलार, दोस्त, दोस्ती, नया सवेरा, नशा, प्यार, बेगवानी, बेगवॉनी, भरत, भरत बेगवानी, भारत माता, मंजिल, मुकाम, मेरी कामना, यादें, राजलदेसर, रास्ता, राह, रिश्ते, लम्हे, वर्षगाँठ, शायरी, हास्य व्यंगय, हिंदी, हिंदी कविता, Begwani, Bharat, bharat jain, canteen, college, convocation, dil, gam, Happy birthday, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jain, jeevan, Jindgi, kavita, khushi, library, Poem, Poetry, pyaar, rajasthan, research reports, Sister, World, Yaad on June 29, 2018| Leave a Comment »
गुजरा जब कालेज के सामने से,
नज़र पड गयी बरबस कालेज के द्वार पर,
सहम गया वक्त, और ठिठक कर रुक गया,
निकल रहा था दोस्तो की वो टोला,
कुछ हाथों में हाथ थे, कुछ कंधे साथ थे,
कोई हंस रहा था, कोई खीज रहा था,
वक्त शायद 18 साल पहले चला गया था,
चल पड़ा वो पुराना चलचित्र फिर आंखों में,
वो मंजर कैसे भूल पाओगे।
एक दिल आजादी का जश्न मनाता था,
तो एक दिल भविष्य के सपने सजाता था,
वो पहले दिन रैंगिग का डर खूब सताता था,
वो पहले दिन क्लास में नए लोगो से मिलना खूब भाता था,
कुछ नए दोस्तो, कुछ नए चहरो से मिलना समझ आता था,
अपने किस्से, उनकी कहानी सुनना नए अनुभव लाता था,
इनमे से कुछ दोस्त अनमोल बन जायेंगे, ये कौन समझ पाता था,
नया अनुभव, आजादी, दोस्त, पहले दिन का अकेलापन, कैसे भूल पाओगे।
वो केंटीन में समोसे खाना,
बैठ कर ठहाके लगाना,
आज तेरी कल मेरी बारी लगाना,
एक कोल्ड ड्रिंक से 3 दोस्तो को निपटाना,
अपना खत्म कर, दूसरे के हिस्से पर हाथ चलाना,
बैठ कर टेबल का तबला बजाना,
अपने को अनु मालिक समझ गाने गाना,
कभी कॉलेज के बाहर छोले कुलचे खाना,
केले वाले से भाव ताव लगाना,
कोने वाली दूकान में पेट्टी, कोल्डड्रिंक की पार्टी उड़ाना,
क्या वो पल वापिस नहीं लाना चाहोगे।
दोस्तों से गुहार लगाते थे,
ट्यूशन के पैसे बचाते थे,
दोस्तों के ट्यूशन नोट्स की कॉपी कराते थे,
बटुए में ज्यादा कुछ नहीं होता था,
पर दिल में बहुत अमीरी हुआ करती थी,
दोस्तों के रूप में बहुत सी बैंक आस पास घुमा करती थी,
कभी किसी को पैसे की कमी नहीं खलती थी,
वो रईसी के दिन, वो साथ, कैसे भूल पाओगे।
वो बर्थडे का दिन आना,
कई दिन से पैसे बचाना,
महीनो की पाकेट मनी का साफ़ हो जाना,
भाई के बर्थडे पर ग्रैंड पार्टी होगी,
दोस्तों की ऐसी रटन लगाना,
कमीनो का एक भी गिफ्ट ना लेकर आना,
पार्टी में बिन बुलाए फ्रेंड्स को ले आना,
बजट बिगड़ता देख खुद ही पैसे मिलाना,
वो अपनापन, वो बर्थडे, वो दोस्त, कैसे भूल पाओगे।
क्लास बंक करने में बड़ा मजा आता था,
फिर कैंटीन या लाइब्रेरी में बैठा जाता था,
लड़कियों के लिए यह जगह सबसे सेफ थी,
सबसे ज्यादा प्यार के अफ़साने यही गाये जाते थे,
कुछ हँसते चहरे तो, कुछ टूटे दिल पाये जाते थे,
कुछ दोस्त किसी रोते को मनाते पाये जाते थे,
वो कंधे, वो अफ़साने, वो दीवाने, अब कहाँ ढूंढ पाओगे।
परीक्षा के दिन गजब ढाते थे,
अटेंडेंस पूरी करने के लिए NSS, का सहारा लगाते थे,
फाइन भर कर परीक्षा में एंट्री पाते थे,
दिन रात एक हो जाते थे,
केंटीन खाली तो लाइब्रेरी फुल हाउस बन जाते थे,
नोट्स बदलने के सिलसिले और तेज हो जाते थे,
आपस में गठबंधन बनाये जाते थे,
फिर भी जब एक के ज्यादा और दूसरे के कम नंबर आते,
तो कमीनेपन के इल्जाम लगाये जाते थे,
वो समन्वय, वो प्यार भरा धोखा, कैसे भूल पाओगे।
आ गया था अंतिम दिन,
आँखे अब होती थी नम,
नम्बर एक्सचेंज करते थे,
गले मिल कर रोते थे,
Keep in Touch कहते थे,
कितने पीछे छूटे थे,
कितने सपने टूटे थे,
काश वो दिन लंबे हो जाते,
काश वो दिन वापिस आ जाते,
………वो सब कैसे भूल पाओगे………
आज सारे वादे टूट गए है,
जिंदगी की आपाधापी में खो से गए है,
समय की रफ़्तार ऐसी थी,
नौकरी और पैसे की भूल भुलैया में खो से गए है,
आज भी आई याद तो,
होठों पर मुस्कान,
और आँख में नमी आई,
जीने की एक ललक फिर से भर आई,
दोस्तों…
एक बार वापिस मुड़कर देखो,
जिंदगी वापिस मिल जायेगी,
गम की काई मिट जायेगी,
वो यादे फिर से मिल जायेगी,
नजरे रोशन हो जायेगी,
जीवन की उमंग मिल जायेगी।
ना कुछ भूल पाये हो, ना कुछ भूल पाओगे………
ना कुछ भूल पाओगे………
संघर्षों की अग्नि
Posted in What I Feel, tagged 2017, aansu, acharya, ajnabee, award, इतिहास, कवि, कविता, खुशबू, गम, गरीबी, जन्मदिन, जिंदगी, जीवन, जैन, त्यौहार, दिल, दीप, दीपावली, दीवाली, दुनिया, देश, दोस्ती, दोहे, नशा, नेता, पिता;, पुलिस, प्यार, फूल, भारत, भाषण, माँ, रिश्ते, रोशनी, व्रत, शादी, शायरी, हिंदी, हिंदी कविता, हौसला, Bharat, Birthday, dard, dil, Diwali, gam, Hindi, hindi kavita, Hindi poem, hindi poetry, jain, janmdin, jeevan, kavita, Khushboo, linkedin, Madhushala, Mukti, Nasha, neta, paak, Piyush, Poetry, pyaar, relationship, Salary, shayari, star, terapanth, Yaad on May 2, 2018| Leave a Comment »
एकरस में डूबे जीवन को,
जो छोड़ कर आगे बढ़ता है,
छोड़ बहाने मुश्किल के,
संघर्षों की अग्नि में तपता है,
बन जाता है नायक वो,
एक अलग कहानी लिखता है।
सर्द हवा या गर्म हवा हो,
आंधी हो, तूफान मचा हो,
पंछी सारे भयभीत होते जब,
बाज उड़ाने भरता है।
संघर्षों की अग्नि में तपता है,
वह अलग कहानी लिखता है।
अवांछित मोड़ हो राहों में,
कंकड़ पत्थर भी मिल जाते है,
कांटो की परवाह नही,
जो अंगारो पर चलता है।
वह अलग कहानी लिखता है।
कुछ नीवों में लग जाता है,
कुछ पैरों में बिछाया जाता है,
जो चोटों को सह जाता है,
वो मंदिर में सजाया जाता है।
जो बैसाखी ले सहारे की,
उजालो में निकलता है,
रात मुश्किलो की आते ही,
वो बेसहारा हो जाता है,
जो खुद के दम पर चमक सके,
अंधेरो से ना डरता है,
खुद बनता है सूरज जग में,
औरो को रोशन करता है।
वह अलग कहानी लिखता है।
जो हिम्मत की भट्टी दहकाएँ
स्वाभिमान की गाथा गाए,
मेहनत की चक्की में पीसकर,
जब भाग्य सितारा चमकता है॥
संघर्षों की अग्नि में तपकर,
वह अलग कहानी लिखता है॥
भाई का पत्र बहन के नाम
Posted in What I Feel, tagged कविता, त्यौहार, देश, बहन का प्यार, बहन भाई, बेगवॉनी, भाई का पत्र, रक्षा बंधन, राखी, राजलदेसर, हिंदी, Bharat, dil, Hindi, hindi poetry, kavita, Poetry, relationship, shayari, Yaad on August 7, 2017| Leave a Comment »
इस राखी पर बहना तुम, इतना सा धर्मं निभा देना,
भाई से चाहे मिल ना पाओ,सास ससुर का मान बढ़ा देना,
ननद तुम्हारी शायद, ससुराल रोज ना आ पाए,
जब भी आये मेहमान बनकर, आकर तुरंत ही चली जाए,
बहु तुम्हे वो समझे भी तो, बेटी का धर्म निभा देना,
पीहर के संस्कारों से, ससुराल की बगिया महका देना,
तुम भी हो बेटी किसी की, इस बात को ना भुला देना,
रखना ख्याल सास ससुर का, बस इतना धर्म निभा देना|
माँ कहती है बहना तेरी, ससुराल में सुख तू पायेगी,
मिलने गर ना भी आ पाए, माँ-बाप का मान तो बढ़ाएगी,
दे प्यार सभी को इतना तू, इतनी अपनी हो जाएगी,
ननंद की कमी को भी तू, शायद पूरा भर पायेगी,
रिश्ते नातो की गर्माहट से, तू घर को स्वर्ग बनाएगी,
आँखों से चाहे दूर सही, माँ तेरी मोद मनाएगी|
जलता हु किस्मत से तेरी, तू दो-दो माँ-बाप पायेगी,
दो-दो माँ के चरणों में, दो-दो स्वर्ग, लुत्फ़ उठाएगी,
पीहर को आबाद किया, ससुराल को स्वर्ग बनाएगी|
बेटी बन कर उभरी है, बहु बनकर जानी जाएगी|
रिश्तो की यह गर्माहट, जीवन भर इसे अलाव देना,
जो सास ससुर खुशियाँ बांटे, बादल बन उन्हें समा लेना,
गर गुस्सा उन्हें आ जाए कभी, तुम प्यार भरी फुहार देना,
जब उम्र का तराजू झुकने लगे, चिडचिडापन उनका बढ़ने लगे,
तुम स्नेह का बादल बनकर के, भर भर कर बरसा देना,
जो प्यार दिया मुट्ठी भरकर, “भरत” वो अतुलित प्यार बना देना|
भाई की आशीष यही, माँ-बाप की ख्वाहिश यही,
बेटी बन कर तू रही यहाँ, बेटी वहां भी बन जाएगी,
सास ससुर की सेवा में, बस इतना धर्म निभा देना|