कल्पना में घूमते शब्द,
जेहन में कौंधते विचार,
सामने चलते हालात,
दिल मे उबलते जज्बात,
क्या करूँ, क्या ना करू,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
तेज चलती,
धीमी चलती,
कल कल बहती,
खुश रहती,
लालसा में,
आकर्षण में,
प्रार्थना में,
आराधना में,
चाह में,
खयाल में,
क्या मिला जबाब इसका,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
कभी छलावा,
कभी दिखावा,
कभी मर्म,
कभी हकीकत,
कभी भरम,
कभी उमंग,
कभी सफर,
कभी सिफर,
क्या पाया जबाब इसका,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
बड़ी अमृतभरी है,
बड़ी हलाहल सी भी है,
बड़ी उमस है,
बारिश की बूंदे भी है,
बड़ी जद्दोजहद है,
बड़ी ही घुटन है,
लंबी बनु निरर्थक सी,
या सार्थक बनु छोटी सी,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
रोती हुई ये जिंदगी,
हंसती हुई भी जिंदगी,
बंधन में बैठी सोचती,
फुरसत मैं बैठी बुनती,
“भरत” मौत से बदतर हूँ, या
मैं मौत से बेहतर हूँ,
मुझसे ये पूछे जिंदगी।
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