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Archive for March 5th, 2009


आज जो लिखने को बैठे पच्चीस,
कलम चलती नहीं, हम क्या करें।

थे खुश की अब हमे मिल गए हैं पंख, उड़ लेंगे हम,
पर जब निकले हवा में, थी हवा प्रचंड, हम क्या करें।

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