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Archive for March 2nd, 2009


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गुजरे है यादों के मौसम, क्यू तन्हा छोड़ यू तड़पाते हो,
हो जाती है आँखें यू नम, क्यू इतना तुम याद आते हो,

चंद लम्हों की वो बातें, साथ गुजारी वो दिन- रातें,
घडी की सुइयों का न रुकना, वो साथ निभाने की दो बातें,
जब-जब आँखें बंद होती है, क्यू इतना तुम याद आते हो।

वो रात के नीरव सन्नाटे में, वो सुबह के स्वर्णिम उजाले में,
वो शहर की व्यस्ततम सडको पर, वो गाँव की खुली राहों में,
जब- जब आँखें खुलती है, क्यू इतना तुम याद आते हो।

वो रात की मीठी नींदों में, वो दिन भर फैली थकानों में,
वो हर एक दुख की आहों में, वो दिल से निकली दुआओं में,
जब- जब भी सांसे निकलती हैं, क्यू इतना तुम याद आते हो।

वो भौर की पावन हवाओं में, वो खिलते फूलों की फिजाओं में,
वो मिट्टी की सोंधी खुशबू में, वो जीत की हर एक हंसी में,
जब- जब भी सांसे लेता हूँ, क्यू इतना तुम याद आते हो।

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सोचा उस पार, निहारा कई बार, पाया कई बार,
थी तमन्ना, एक हकीकत या एक कल्पना,
सोच के बढा जो आगे, रुक गया, फिर देखा,
सोचा, समझा, फिर एक पल को लगा,
शायद……………
मंजिले अभी और भी है………………….

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