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Archive for August 31st, 2019


मौन से शक्ति का संचार है,
मौन में ही अंतस: का सार है,
मौन रहती है ऋतुएं,
परिवर्तन मधुर लाती है,
मौन रह कर पृथ्वी,
धूरी पर चक्कर लगाती है।
दिन भर झक झक कर के,
शक्ति क्षीण हो जाती है,
अनावश्यक बातें कभी,
जीवन मे अर्थ नही लाती है,
अनमोल बीज सृजन के,
मरु में व्यर्थ हो जाते है,
बाह्य कोलाहल,
हृदय में चपलता फैलाते है।
गर हृदय में उतर कर,
मौन तुम धारण करो,
शब्द की शक्ति के
संचय का मानस करो,
मौन के परिपार्श्व में,
चिर आनंद की ध्वनि सुनो,
आत्म वाणी साक्षात्कार कर,
अंदर अनुभूति दिव्य करो,
तो,
वाणी में तुम्हारे,
दिव्य रस भर जाएंगे,
तेज, शक्ति, ओज से शब्द,
ओतप्रोत हो जाएगे,
जीवन, जगत और प्रकृति के,
रहस्य सब खुल जाएंगे।
सार्वभौम शक्तियों से,
साक्षात्कार हो जाएंगे।

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अणुव्रतों का पालन हो,
तो बदले युग की धारा,
मानवता बसे मानव में,
अणुव्रतों के द्वारा।
संयममय जीवन हो सबका,
सबको यह बतलाये,
सुधरे व्यक्ति समाज व्यक्ति से
सच्चा ज्ञान सिखाये,
अहिंसा, एकता, सहिष्णुता का,
बोधि पाठ पढ़ाये,
पर्यावरण और नशा मुक्ति की,
पावन राह दिखाये,
विश्व शांति का मार्ग प्रशस्त हो,
अणुव्रतों के द्वारा,
मानवता बसे मानव में,
अणुव्रतों के द्वारा।
सतवृति का मानव में,
होता रहे प्रसार,
दुष्प्रवृति का जन जन से,
होता रहे बहिष्कार,
क्षमा मैत्री और मानवता का,
हो चारों और प्रचार,
हिंसा, कपट, और भेद के,
बंद हो जाए द्वार
अपने से अपना अनुशासन,
अणुव्रतों के द्वारा,
मानवता बसे मानव में,
अणुव्रतों के द्वारा।

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ना चाहो मुझे तुम इतना,
की तुम्हारी आदत पड़ जाए,
और गर पड़े बिछड़ना,
तो दिल ये रो जाए।

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क्या मिले उनसे ऐसे,
क्या बिछड़े उनसे ऐसे,
जिंदगी की शाम आई,
उनकी तलाश जारी है॥

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चले जाते है, तन्हा यू ही,
साहब ये सफर है, कोई दास्तान नही,
आ जाओ तुम, दिल ये कहता रहता है,
इस तन्हाई का और कोई जबाब नही,
सोने जाते है, बेवफा हो जाती है आंखे,
तेरी यादों का कोई इलाज नही॥

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कुछ था गर ऐतबार,
तुझको अ सनम,
पास आकर एक बार,
बताते तो सही,
फासला रेशे का भी,
रहता नही,
हाथ एक बार,
तुम बढ़ाते तो सही।

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