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Posts Tagged ‘लड़ाई’


सुमिरण मातृ भूमि का पल पल,
हर क्षण करता हूँ स्मरण,
पूजा तेरी करू रात दिन,
करू तुझे शत शत वंदन।

गंगा यमुना की साडी में लिपटी,
स्वर्णिम आभा न्यारी है,
सिर पे हिम का ताज लिए,
पैरो में जलतारी है,
हे मातृ भूमि, हे मातृ भूमि,
करता तुझको जीवन अर्पण।
शत शत वंदन, शत शत वंदन

मंदिर और मस्जिद की,
यहाँ ऋचाएं सजती है,
कही अजान तो कही आरती,
प्यारी धुन थिरकती है,
उत्तर हो या दक्षिण हो,
असीम शांति मिलती है,
मंदिर हो या मस्जिद हो,
गिरिजाघर हो या गुरुद्वारा
हिन्दू,मुस्लिम, सिख, ईसाई,
समर्पित करते तन मन सारा,
चहु दिशा में बजे घंटिया,
करती ह्रदय में एक स्पंदन।
शत शत वंदन, शत शत वंदन

सोलह श्रृंगारों की रौनक,
हर सुहागन हाथों सजती है,
रंग बिरंगी चुडियो की बाते,
दूर दूर तक चलती है,
मिठाइयों बात हो तो,
मुह में पानी आ जाता है,
खान पान में विविधता से,
हर विकल्प यहां मिल जाता है,
हर मन में हो हर्षोल्लास,
यु ही पल्लवित हो ये उपवन।
शत शत वंदन, शत शत वंदन

हर्षित होकर हर ऋतु का,
यहाँ स्वागत होता है,
तीज त्योहारो पर अब भी,
मिलने का उपक्रम चलता है,
मेले लगते है उत्सव में,
उमंगो की बयारे बहती है,
होली और दीवाली पर तो,
धमा चोकड़ी चलती है,
मेलों में सज धज कर,
आनंद उठाया जाता है,
विभिन्न वाद्य पर प्रफुल्लित हो,
मन मोद मनाया जाता है,
रथ यात्राएं जब निकले,
यह देव भूमि सज जाती है,
हे जननी मातृभूमि प्यारी,
मैं करता हर पल तेरा स्मरण।
”भरत” करता तुझको शत शत वंदन।।
शत शत वंदन।।

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पुलवामा आतंकी हमले के बाद, एक ही स्वर चारो और है, बदला चाहिए, पाकिस्तान पर हमला, सर्जिकल स्ट्राइक, एक के बदले सौ…इत्यादि।
क्या सोचते है आप, क्या होगा अगर हमने जोखिम उठा कर 100-200 पाकिस्तान जवानों को मार भी दिया, एक और सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया, पाकिस्तान पर हमला कर पूरे विश्व को एक और विश्व युद्ध मे झोंक दिया, क्या इससे बदला पूर्ण हो जाएगा। आज सभी परमाणु सम्पन्न राष्ट्र है, एक हमले का मतलब, परमाणु युद्ध है, एक हमले का मतलब, करोड़ो लाशें, और कई पीढ़ियों की बर्बादी है, और हो सकता है, कई देशों के अस्तित्व का भी खात्मा हो जाये। विनाश के कितने रास्ते और उपाय हम सब ने तैयार कर रखे है, हमे खुद नही पता, इंतज़ार तो बस उनके इस्तेमाल का है।
बात हम करते है, अपने गौरवशाली अतीत की महान योद्धाओं की, उनके शौर्य की, किन्तु याद हमे होता है कि उन्होंने एक लड़ाई जीती थी, दो युद्ध जीते थे, किन्तु उस दो-चार दिन, एक-दो महीने की लड़ाई को अलग हटा कर उनके सम्पूर्ण जीवन चरित्र को ही भूल जाते है, यह भूल जाते है कि वह कितना दयालु शासक था, कितना बुद्धिमान था, हर युद्ध से पहले संधि के कितने प्रयास किये थे, कितनी बुद्धि और विवेक का प्रयोग होता था, युद्ध तो केवल अंतिम रास्ता होता था। भगवान श्री कृष्ण ने भी महाभारत के महायुद्ध से कुछ क्षण पूर्व तक भी संधि का प्रयास किया था।
दोस्तो, आज आवश्यकता है अपने भीतरघात को साफ करने की, अंदर घुसे दुश्मनो को साफ करने की, गद्दारो का सफाया करने की, दोस्तो की संख्या बढ़ाने की, अपने आप को सशक्त करने की, अपने बुद्धि कौशल का प्रयोग कर आपसी मतभेदों को भुलाने की, और दुश्मन को अलग थलग करने की।

अब बात आती है, इसमें हम क्या कर सकते है…. हर एक नागरिक क्या कर सकता है…हर एक इंसान क्या कर सकता है…जरा अपने भीतर झांकिए और सोचिये, देश के उत्थान के लिए, सशक्तिकरण के लिए आप क्या-क्या कर सकते है…
आपसी प्यार, सौहार्द, भाईचारा, ईमानदारी, स्वस्थता, सहयोग, स्वच्छता, आपसी वैमनस्यता का खात्मा, विश्वास, अनर्गल आरोप-प्रत्यारोप का बहिष्कार, धार्मिक सहिष्णुता जैसे कई मानवीय गुण है, जिनका जितना विकास, प्रयोग करेंगे, देश उतना ही सुरक्षित होगा, उतना ही आगे जाएगा और भीतरी दुश्मनी का खात्मा होगा।

आइये बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार पर छोड़, भीतरी सुरक्षा और सौहार्द की मजबूत दीवारें खड़ी करें और राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने में अपना योगदान दे। यह देशभक्ति का ज्वार, एक दिन की प्रतिक्रिया बन कर ना रहे, बल्कि हर दिन की क्रिया बने।

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